TMA की चेतावनी: उत्सर्जन नियमों से 50 HP ट्रैक्टर बाजार में गिरावट संभव"
भारतीय कृषि ट्रैक्टरों पर उत्सर्जन मानकों के प्रभाव को लेकर TMA का महत्वपूर्ण प्रस्तुतीकरण
ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TMA) भारत सरकार द्वारा निर्धारित उत्सर्जन मानकों को लेकर पूर्ण समर्थन करता है, लेकिन साथ ही यह आग्रह करता है कि कृषि ट्रैक्टरों की विशिष्ट प्रकृति और किसानों की आर्थिक, व्यवहारिक, व तकनीकी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए एक भारत-केंद्रित, चरणबद्ध और व्यावहारिक नीति तैयार की जाए।
1. ट्रैक्टर – सिर्फ मशीन नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव
ग्रामीण भारत में ट्रैक्टर केवल एक कृषि यंत्र नहीं है, बल्कि यह किसान की आजीविका का आधार है। ऐसे में जब उत्सर्जन मानकों (Bharat TREM-IV & V) के तहत तकनीकी बदलाव किए जाते हैं, तो इससे न केवल उत्पाद की कीमत में भारी वृद्धि होती है, बल्कि किसान पर आर्थिक दबाव भी बढ़ता है।
उच्चतम फ्यूल एफिशिएंसी व सख्त उत्सर्जन नियमों को लागू करने से ट्रैक्टरों में इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और कंट्रोल यूनिट्स जैसे जटिल उपकरण लगेंगे, जिससे ट्रैक्टर का मूल्य, संचालन लागत और रखरखाव खर्च तीनों ही तेजी से बढ़ेंगे।
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2. किसानों की तकनीकी स्वीकार्यता और व्यवहारिक सच्चाई
भारतीय किसान नई तकनीक अपनाने को तैयार हैं, लेकिन केवल तभी जब:
वह तकनीक भारत में पूरी तरह से परीक्षित और सिद्ध हो,
उसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से दिखे, और
वह आसान उपयोग व किफायती हो।
TMA का मानना है कि बिना पर्याप्त परीक्षण के अंतरराष्ट्रीय तकनीकों को भारत में लागू करना आत्मघाती हो सकता है।
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3. अतीत से मिली सीख
भारतीय संदर्भ में रोटरी पंप और टर्बो चार्जर की स्वीकार्यता कमजोर रही है, और अंततः किसानों की पसंद के कारण निर्माताओं को पुनः INLINE पंप पर लौटना पड़ा। यही कारण है कि हम किसानों की पसंद, खेत की वास्तविक स्थितियों और उपयोग के व्यवहार को नज़रअंदाज नहीं कर सकते।
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4. जमीनी सच्चाई: वर्तमान प्रथाएं और प्रभाव
4.1. ईंधन भंडारण की व्यवहारिक कठिनाई
ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन स्टेशनों की दूरी के कारण किसान ड्रमों में डीज़ल स्टोर करते हैं, जिससे ईंधन की गुणवत्ता खराब होती है।
भविष्य में उपयोग होने वाले उच्च तकनीक ईंधन इंजेक्शन सिस्टम ऐसे अशुद्ध ईंधन से खराब हो सकते हैं और ट्रैक्टर बंद हो सकते हैं।
TMA की सिफारिश:
Tier-1 आपूर्तिकर्ताओं को “अब्यूज़-प्रूफ” सिस्टम विकसित करने चाहिए जो दूषित ईंधन से प्रभावित न हों।
रिफ्यूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सरकार को युद्ध स्तर पर योजनाएं बनानी होंगी।
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4.2. उच्च हॉर्सपावर (HP) ट्रैक्टरों पर प्रभाव
भारतीय ट्रैक्टर बाजार अत्यधिक मूल्य संवेदनशील है, लेकिन ब्रांड को लेकर भी सजग है। आज का किसान तकनीकी या नियामक मानकों की बजाय, लागत, टिकाऊपन और सेवा सुविधा को अधिक महत्व देता है।
उद्योग का अनुमान है कि 50 HP और उससे अधिक की क्षमता वाले ट्रैक्टर बाजार से बाहर हो सकते हैं, क्योंकि इनकी निर्माण लागत, संचालन व्यय और रख-रखाव की आवश्यकता में भारी वृद्धि होगी।
इन उच्च HP ट्रैक्टरों ने लंबे संघर्ष के बाद भारतीय बाजार में अपनी जगह बनाई है और पोस्ट-हार्वेस्ट तथा उन्नत कृषि कार्यों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि यह वर्ग बाजार से बाहर हो गया, तो इससे भारत के कृषि यंत्रीकरण को भारी नुकसान पहुंचेगा।
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5. भारतीय ट्रैक्टर निर्माताओं पर संभावित प्रभाव
भारत में ट्रैक्टर सर्विसिंग टीम सीधे किसानों के पास जाती है, इसके लिए PAN India सेवा नेटवर्क की आवश्यकता है जिसमें भारी निवेश, प्रशिक्षण और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जरूरत है।
ROPS, शोर नियंत्रण, EMI/EMC और अन्य सुरक्षा मानकों को जोड़ने से ट्रैक्टरों की लागत 60-70% तक बढ़ जाएगी।
TMA की स्पष्ट चेतावनी:
> "हम न तो बिना परीक्षण के उत्पाद दे सकते हैं और न ही ऐसे उत्पाद जिनकी लागत 60-70% अधिक हो!"
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6. अंतरराष्ट्रीय तुलना और भारत के लिए उपयुक्त नीति
भारत का उत्सर्जन नियंत्रण मॉडल यूरोपीय संघ जैसा ही है, लेकिन भारत की स्थानीय परिस्थितियाँ – जैसे कीचड़, धूल, बिना हुड के ट्रैक्टर, खराब ईंधन – यूरोप से बिल्कुल भिन्न हैं।
इसलिए केवल तकनीक अपनाना ही नहीं, बल्कि उसका भारत में वास्तविक परीक्षण आवश्यक है।
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7. TMA की मुख्य सिफारिशें
✅ भारत के लिए 10 वर्षों का चरणबद्ध रोडमैप तैयार किया जाए।
✅ कोई भी उत्सर्जन मानक कम से कम 4 वर्षों तक स्थिर रखा जाए।
✅ कम सल्फर डीज़ल 2 साल पहले हर क्षेत्र में उपलब्ध कराया जाए।
✅ कम से कम 1500 घंटे और 2 कृषि सीजन तक फील्ड टेस्टिंग हो।
✅ TREM-V को केवल TREM-IV के सफल क्रियान्वयन के बाद लागू किया जाए।
✅ इंजन व प्रणाली निर्माताओं को PAN India सेवा नेटवर्क तैयार करना होगा।
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निष्कर्ष:
TMA यह स्पष्ट रूप से सरकार से निवेदन करता है कि कृषि ट्रैक्टरों को “विशेष श्रेणी” में रखा जाए और उत्सर्जन नियंत्रण नीति को तैयार करते समय किसानों की जमीनी वास्तविकताओं, व्यवहारिक समस्याओं और आर्थिक क्षमताओं को ध्यान में रखा जाए।
हमारा उद्देश्य है — एक ऐसा ट्रैक्टर जो:
✅ भारत के किसानों की ज़रूरतों के अनुरूप हो,
✅ पूरी तरह से परीक्षणित हो,
✅ कम लागत वाला हो,
✅ और दीर्घकाल तक टिकाऊ हो।
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