भारत के ट्रैक्टर निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि | कड़े उत्सर्जन मानकों से बढ़ता वैश्विक व्यापार
कड़े मानक, बेहतर व्यापार: भारत के ट्रैक्टर निर्यात और उत्सर्जन मानक
भारत के ट्रैक्टर उद्योग ने हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण विकास दर्ज किया है। अंतरराष्ट्रीय क्लीन कार ट्रांसपोर्ट (ICCT) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कड़े और उन्नत ट्रैक्टर उत्सर्जन मानकों (TREM) ने न केवल पर्यावरण की रक्षा की है बल्कि देश के ट्रैक्टर निर्यात को भी वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। इस रिपोर्ट के आधार पर यह प्रेस नोट भारत की ट्रैक्टर निर्माण और निर्यात क्षमता, वैश्विक उत्सर्जन निगमन मानकों के साथ तालमेल, और आने वाले समय में इसकी संभावनाओं पर विस्तृत प्रकाश डालता है।
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भारत का ट्रैक्टर उद्योग: एक बड़ी वैश्विक ताकत
भारत हर साल लगभग एक मिलियन कृषि ट्रैक्टर बनाता है जिसमें से लगभग 15% ट्रैक्टर विश्व के विभिन्न देशों को निर्यात होते हैं। यह निर्यात नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के बाजारों तक फैला हुआ है। पिछले कुछ दशकों में भारत ने ट्रैक्टर उत्सर्जन मानकों को बेहद कड़ाई से अपडेट किया है जिससे भारतीय ट्रैक्टरों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है।
उत्सर्जन मानकों की शुरुआत और प्रगति: TREM I से TREM V तक
भारत ने 1999 में अपने ट्रैक्टर उत्सर्जन मानकों का क्रियान्वयन शुरू किया जिसे ट्रैक्टर और कृषि उपकरण उत्सर्जन मानक (TREM) कहा जाता है। यह मानक समय-समय पर कड़े होते गए हैं। वर्तमान में TREM IV मानक लागू है और अप्रैल 2026 से TREM V लागू होने जा रहा है जो यूरो VI के बराबर है और अमेरिकी मानकों से भी अधिक कठोर है। यह मानक न केवल कणीय पदार्थ (PM) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन को कम करेगा बल्कि ट्रैक्टरों को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने में मदद करेगा।
वैश्विक बाजार में भारत का विस्तार
ICCT रिपोर्ट के मुताबिक़, कड़े उत्सर्जन मानकों के कारण भारत ने 162 देशों में अपने ट्रैक्टर निर्यात बढ़ा लिए हैं। इनमें यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्राजील, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड जैसे बड़े बाजार शामिल हैं। अमेरिका अभी भी भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जबकि ब्राजील में निर्यात की वार्षिक वृद्धि दर 65% तक पहुंच चुकी है। यूरोपीय संघ के बाजार में निर्यात की वृद्धि लगभग 11% वार्षिक है।
उत्सर्जन मानकों के प्रभाव: पर्यावरण और व्यापार दोनों में सुधार
भारत के कड़े ट्रैक्टर उत्सर्जन मानक सिर्फ़ प्रदूषण कम करने के लिए ही नहीं हैं, बल्कि यह देश के कृषि ट्रैक्टर उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी मजबूती देते हैं। पुराने मानकों की तुलना में नए मानक प्रदूषण को काफी घटाते हैं, जिससे ग्रामीण और छोटे शहरों की हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है। इससे किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी जोखिम कम होते हैं।
इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों की ओर भारत की पहल
भविष्य में उत्सर्जन को और कम करने के लिए ICCT का सुझाव है कि भारत इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा दे। यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा, बल्कि भारत को वैश्विक बाजार में एक अग्रणी इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर निर्माता के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर शोर, कंपन और नकली स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम करते हैं, जो किसानों के लिए बेहतर विकल्प हैं।
अगले कदम: TREM V के साथ नई उम्मीदें
TREM V मानक, जो अप्रैल 2026 से लागू होंगे, न केवल भारत के मानकों को यूरोपीय संघ के स्तर पर लाएंगे बल्कि अमेरिकी मानकों से भी आगे होंगे। इससे भारतीय ट्रैक्टर उद्योग को नई तकनीकों में निवेश करने और उच्च गुणवत्ता वाले, स्वच्छ ऊर्जा वाले उत्पादों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
नीतिगत सुझाव और उद्योग के लिए अवसर
ICCT का विश्लेषण बताता है कि जब भारत के उत्सर्जन मानक निर्यातक देशों के बराबर होते हैं, तब निर्यात की दर में वृद्धि होती है। इस प्रकार, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों को टीआरईएम V के साथ साथ इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों के उत्पादन के लिए भी विशेष प्रोत्साहन देना चाहिए। यह रणनीति भारत को गैर-महासागरीय ताकत के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।
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भारत कृषि मशीनरी में स्वच्छ तकनीक का नेतृत्व
भारत के ट्रैक्टर उद्योग ने पर्यावरण संरक्षण के साथ व्यापार को भी बढ़ाने का मॉडल स्थापित किया है। कड़े उत्सर्जन मानक न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि ये भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भी बनाते हैं। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों को बढ़ावा देकर भारत कृषि मशीनरी में स्वच्छ तकनीक का नेतृत्व कर सकता है और भविष्य के बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है।
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