भारत 2025 तक 20% एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ा
भारत सरकार का बड़ा कदम: एथेनॉल मिश्रण में तेजी, उत्पादन क्षमता और अवसंरचना विस्तार से बढ़ेगा हरित ईंधन लक्ष्य
भारत सरकार ने देश को स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol Blending Programme) को नई गति दी है। अब पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य, जो पहले वर्ष 2030 के लिए निर्धारित था, उसे आगे बढ़ाकर एथेनॉल सप्लाई ईयर (ESY) 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति (National Policy on Biofuels) 2018 को 2022 में संशोधित करते हुए इस महत्वाकांक्षी निर्णय की नींव रखी गई थी। इस नीति का उद्देश्य भारत को ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय वृद्धि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
🌾 एथेनॉल मिश्रण में रिकॉर्ड प्रगति: देश 20% लक्ष्य के करीब
यह उपलब्धि सरकार की सक्रिय नीतियों, उद्योग के सहयोग और किसानों की भागीदारी का परिणाम है। आने वाले एक वर्ष में भारत के 20% मिश्रण लक्ष्य तक पहुँचने की पूरी संभावना है।
🏭 एथेनॉल उत्पादन के लिए सरकार के व्यापक कदम
एथेनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने और निवेश को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार ने कई रणनीतिक निर्णय लिए हैं:
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फीडस्टॉक का विस्तार:2022 में संशोधित राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के तहत अब एथेनॉल उत्पादन केवल गन्ना आधारित शीरे तक सीमित नहीं है। इसमें मक्का, धान, चावल, टूटे चावल, और अन्य अनाजों को भी शामिल किया गया है, जिससे उत्पादन का दायरा बढ़ा है।
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मक्का क्लस्टर विकास:कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DAFW) द्वारा एथेनॉल संयंत्रों के आसपास मक्का क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं।इसी क्रम में, भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIMR) ने “एथेनॉल उद्योगों के कैचमेंट क्षेत्रों में मक्का उत्पादन में वृद्धि” नामक परियोजना प्रारंभ की है, जिसका उद्देश्य एथेनॉल संयंत्रों के आसपास कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
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एफसीआई चावल का आवंटन:सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) के 52 लाख मीट्रिक टन अधिशेष चावल को एथेनॉल उत्पादन के लिए स्वीकृति दी है। यह आवंटन ESY 2024–25 (1 नवंबर 2024 से 31 अक्टूबर 2025 तक) और ESY 2025–26 (30 जून 2026 तक) के लिए किया गया है।
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चीनी का डायवर्जन:एथेनॉल सप्लाई ईयर 2024–25 में 40 लाख मीट्रिक टन चीनी को एथेनॉल उत्पादन हेतु डायवर्ट करने की अनुमति दी गई है। यह कदम चीनी उद्योग को स्थिरता प्रदान करेगा और किसानों के बकाया भुगतान में भी मदद करेगा।
⚙️ नीतिगत प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता
सरकार ने एथेनॉल उत्पादन को लाभकारी और निवेश योग्य बनाने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं —
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प्रशासित मूल्य तंत्र (Administered Price Mechanism):एथेनॉल की खरीद के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारण प्रणाली लागू की गई है ताकि उत्पादकों को उचित मूल्य मिले और उत्पादन सतत रूप से बढ़ता रहे।
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जीएसटी दर में कमी:एथेनॉल पर जीएसटी घटाकर 5% कर दिया गया है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आई है और निवेशकों को प्रोत्साहन मिला है।
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एथेनॉल ब्याज अनुदान योजनाएँ (Ethanol Interest Subvention Schemes):2018 से 2022 तक विभिन्न ब्याज अनुदान योजनाएँ लागू की गईं, जिनके अंतर्गत गुड़, शीरा और अनाज आधारित डिस्टिलरी को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण दिया गया।
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सहकारी चीनी मिलों के लिए विशेष योजना:6 मार्च 2025 को केंद्र सरकार ने एक समर्पित ब्याज अनुदान योजना अधिसूचित की, जिसके तहत सहकारी चीनी मिलें अपने मौजूदा डिस्टिलरी संयंत्रों को मल्टी-फीडस्टॉक एथेनॉल इकाइयों में परिवर्तित कर सकती हैं।
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दीर्घकालिक ऑफटेक समझौते (LTOA):सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (OMCs) और समर्पित एथेनॉल संयंत्रों के बीच दीर्घकालिक अनुबंध किए जा रहे हैं ताकि उत्पादकों को स्थायी बाज़ार मिल सके और निवेश को सुरक्षा मिले।
🌱 प्रधानमंत्री जीव-एन योजना से उन्नत जैव ईंधन को बल
यह पहल न केवल प्रदूषण घटाने में मदद करेगी बल्कि कृषि अवशेषों के प्रभावी प्रबंधन से किसानों की अतिरिक्त आय भी सुनिश्चित करेगी।
🚛 भंडारण और परिवहन अवसंरचना का आधुनिकीकरण
🇮🇳 किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी कदम
कृषि आधारित अपशिष्ट और अधिशेष फसलों का उपयोग एथेनॉल उत्पादन में करने से कृषि क्षेत्र को स्थिरता मिलेगी। साथ ही, कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटेगी जिससे विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।
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