किसानों की आय सुरक्षा से आत्मनिर्भर भारत तक: MSP 2026-27 से बढ़ेगा समर्थन मूल्य और डिजिटल खरीद
किसानों की आय सुरक्षा से आत्मनिर्भर भारत तक: न्यूनतम समर्थन मूल्य की नई दिशा
भारत सरकार ने रबी विपणन सत्र (RMS) 2026–27 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर दी है। यह निर्णय न केवल किसानों की आय सुरक्षा को और मजबूत करता है, बल्कि देश को कृषि आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे ले जाने का एक बड़ा कदम भी है। नए MSP निर्धारण से किसानों को अपनी लागत पर लाभ सुनिश्चित होगा, उत्पादन बढ़ेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी।
सरकार के अनुसार, आगामी रबी सत्र में लगभग 297 लाख मीट्रिक टन (LMT) अनाज की सरकारी खरीद का अनुमान है। इस खरीद के लिए किसानों को लगभग ₹84,263 करोड़ का भुगतान न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों पर किया जाएगा। यह निर्णय केंद्र सरकार के उस सतत प्रयास का हिस्सा है जिसके तहत किसान हित और खाद्य सुरक्षा दोनों को समान प्राथमिकता दी जा रही है।
कृषि क्षेत्र की रीढ़: न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है
भारतीय किसान हर मौसम में कठिन परिस्थितियों में भी देश की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में लगे रहते हैं। लेकिन मौसम, बाजार और मूल्य अस्थिरता के कारण कई बार उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ऐसी स्थिति में किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
MSP वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से फसलों की खरीद सुनिश्चित करती है, भले ही खुले बाजार में कीमतें गिर जाएं। इससे किसानों को यह भरोसा मिलता है कि उन्हें अपनी लागत से कम मूल्य पर उपज बेचनी नहीं पड़ेगी। उदाहरण के लिए, यदि बाजार में गेहूं की कीमत ₹2,000/क्विंटल तक गिर जाए, तब भी किसान सरकार को ₹2,585/क्विंटल पर बेच सकता है। इसी प्रकार धान (कॉमन) के लिए ₹2,369/क्विंटल का MSP तय किया गया है।
यह तंत्र किसानों को न केवल नुकसान से बचाता है बल्कि उन्हें गुणवत्ता, उत्पादकता और नवाचार में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है।
एमएसपी निर्धारण प्रक्रिया: वैज्ञानिक और समावेशी दृष्टिकोण
हर वर्ष केंद्र सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर 22 अधिसूचित फसलों के लिए MSP तय करती है। यह निर्णय राज्य सरकारों, संबंधित मंत्रालयों और किसान संगठनों के विचारों को ध्यान में रखकर लिया जाता है।
MSP निर्धारण के दौरान तीन मुख्य बिंदु प्रमुख भूमिका निभाते हैं:
- उत्पादन लागत – किसानों द्वारा प्रति इकाई उत्पादन पर खर्च, जैसे बीज, खाद, सिंचाई, श्रम, परिवहन आदि।
- कृषक लाभांश (Margin Over Cost) – लागत पर न्यूनतम 50% लाभ सुनिश्चित करना, जैसा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित नीति में निर्धारित है।
- बाजार प्रवृत्ति और मांग – घरेलू एवं वैश्विक कीमतों को ध्यान में रखते हुए मूल्य निर्धारण।
रबी फसलों के लिए नया MSP (2026–27)
क्रमांक | फसल | MSP (₹/क्विंटल) 2026–27 | लागत (₹/क्विंटल) | लाभ (%) | MSP (₹/क्विंटल) 2025–26 | वृद्धि |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | गेहूं | 2,585 | 1,239 | 109% | 2,425 | 160 |
2 | जौ | 2,150 | 1,361 | 58% | 1,980 | 170 |
3 | चना | 5,875 | 3,699 | 59% | 5,650 | 225 |
4 | मसूर (लेंटिल) | 7,000 | 3,705 | 89% | 6,700 | 300 |
5 | सरसों (रेपसीड & मस्टर्ड) | 6,200 | 3,210 | 93% | 5,950 | 250 |
6 | करडई (सैफ्लावर) | 6,540 | 4,360 | 50% | 5,940 | 600 |
इस बार सबसे अधिक लाभ गेहूं (109%), सरसों (93%), और मसूर (89%) पर तय किया गया है। यह संकेत है कि सरकार न केवल अनाज, बल्कि दलहन और तिलहन उत्पादन को भी बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
खरीद और भुगतान में ऐतिहासिक वृद्धि
2014–15 से अब तक MSP नीति के परिणाम अत्यंत सकारात्मक रहे हैं।
- MSP भुगतान: ₹1.06 लाख करोड़ (2014–15) से बढ़कर ₹3.33 लाख करोड़ (2024–25) हो गया है।
- खाद्यान्न खरीद: 761.40 LMT से बढ़कर 1,175 LMT तक पहुंच गई है।
- लाभार्थी किसान: लगभग 1.84 करोड़ किसान सीधे इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।
यह वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि MSP नीति केवल मूल्य निर्धारण का उपाय नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की प्रभावी रणनीति बन चुकी है।
कृषि आत्मनिर्भरता के लिए दलहन में क्रांति
भारत लंबे समय से दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। सरकार ने 2028–29 तक तूर (अरहर), उड़द और मसूर की 100% घरेलू उत्पादन मात्रा की सरकारी खरीद करने का निर्णय लिया है।
यह रणनीति देश को आयात पर निर्भरता से मुक्त करने और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में मील का पत्थर साबित होगी। मार्च 2025 तक 2.46 लाख मीट्रिक टन तूर की खरीद पहले ही हो चुकी है, जो इस दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
डिजिटल सुधार: पारदर्शिता और त्वरित भुगतान की दिशा में बड़ा कदम
खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी, कुशल और डिजिटल बनाने के लिए सरकार ने दो प्रमुख प्लेटफार्म लॉन्च किए हैं –
- e-Samriddhi (NAFED द्वारा विकसित)
- e-Samyukti (NCCF द्वारा विकसित)
इन प्लेटफार्मों के माध्यम से किसान:
- आधार, भूमि अभिलेख, बैंक विवरण और फसल जानकारी के साथ ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं।
- अपनी उपज बेचने के लिए निकटतम खरीद केंद्र का चयन कर सकते हैं।
- उन्हें डिजिटल स्लॉट आवंटित किए जाते हैं, जिससे अनावश्यक प्रतीक्षा और भीड़ से बचाव होता है।
- खरीद पूरी होने पर भुगतान सीधे बैंक खातों में किया जाता है।
इस डिजिटल प्रणाली ने बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर दी है और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया है।
राज्य सरकारों के साथ तालमेल और किसानों की भागीदारी
MSP नीति की सफलता केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग पर निर्भर करती है। राज्यों को खरीद केंद्र स्थापित करने, वेयरहाउस प्रबंधन और भुगतान प्रणाली को सुचारू रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
राज्यों में आयोजित किसान जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण, गुणवत्ता जांच प्रक्रिया, और भुगतान से संबंधित जानकारी दी जा रही है।
महिलाओं और छोटे किसानों को विशेष लाभ
MSP योजना का विशेष फोकस छोटे और सीमांत किसानों, विशेष रूप से महिला कृषकों पर है।
- MSP खरीद केंद्रों में महिला किसानों के लिए अलग पंजीकरण काउंटर और सहायता डेस्क बनाए जा रहे हैं।
- महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को भी खरीद प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
इससे महिला किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे भी बाजार के अस्थिर प्रभावों से सुरक्षित रहेंगी।
कृषि बाजार सुधारों के साथ MSP का समन्वय
MSP व्यवस्था अब केवल पारंपरिक खरीद प्रणाली तक सीमित नहीं है। इसे आधुनिक बाजार सुधारों से जोड़ा जा रहा है, जैसे –
- ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म पर MSP से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराना।
- कृषि मूल्य सूचना पोर्टल के माध्यम से किसानों को रियल-टाइम मूल्य तुलना सुविधा देना।
- निजी और सहकारी क्षेत्र की भागीदारी से भंडारण और प्रसंस्करण अवसंरचना को सशक्त बनाना।
इन सुधारों का उद्देश्य MSP को केवल सुरक्षा जाल नहीं, बल्कि कृषि मूल्य श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाना है।
MSP और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का संबंध
- किसान जोखिम से सुरक्षित होते हैं,
- फसल विविधता को प्रोत्साहन मिलता है,
- और घरेलू उत्पादन बढ़कर आयात पर निर्भरता घटाता है।
दलहन और तिलहन के बढ़ते MSP से देश के खाद्य तेल और प्रोटीन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस प्रगति होगी।
सरकार का दृष्टिकोण: MSP से समग्र विकास तक
सरकार का उद्देश्य केवल मूल्य घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि कृषक जीवन स्तर को उठाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। MSP से जुड़े प्रयास निम्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं:
- आय वृद्धि: किसान परिवारों की औसत आय में निरंतर वृद्धि।
- रोज़गार सृजन: ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि-संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर।
- खाद्य सुरक्षा: राष्ट्रीय खाद्य भंडार में स्थिरता और पर्याप्तता।
- पर्यावरण संतुलन: विविध फसलों को प्रोत्साहन से मिट्टी और जल संसाधनों का बेहतर उपयोग।
निष्कर्ष
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) अब केवल एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि भारत के किसान और राष्ट्र दोनों की स्थिरता का आधार बन चुका है। यह नीति किसानों को नुकसान से बचाने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती है।
सरकार के मजबूत खरीद तंत्र, पारदर्शी डिजिटल प्लेटफार्म, दलहन-तिलहन पर विशेष ध्यान और महिला भागीदारी जैसी पहलें इस बात का प्रमाण हैं कि भारत का कृषि क्षेत्र “सुरक्षा जाल” से “स्वावलंबन” की ओर बढ़ चुका है।
आने वाले वर्षों में MSP नीति न केवल किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को साकार करेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी सशक्त बनाएगी।
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