फ़ॉलोअर

भारत में कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण: आधुनिक तकनीक से बदलेगा किसानों का भविष्य

भारत में कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण : आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में सशक्त कदम


कृषि क्षेत्र की भूमिका और शिक्षा का महत्व

भारत की लगभग आधी आबादी कृषि पर निर्भर है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान करती है। कृषि उत्पादन को टिकाऊ और लाभकारी बनाने के लिए मानव संसाधन विकास, उच्च शिक्षा और व्यवहारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।
कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार (Extension) को भारतीय कृषि के तीन मुख्य स्तंभ माना गया है। ये तीनों स्तंभ “विकसित कृषि और समृद्ध किसान” के लक्ष्य के अनुरूप “One Nation – One Agriculture – One Team” की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। यह दृष्टिकोण “विकसित भारत (Viksit Bharat)” के निर्माण की आधारशिला है।


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR): कृषि शिक्षा की रीढ़

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की स्थापना 1929 में हुई थी। यह संस्था कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) का हिस्सा है।
ICAR देश में कृषि अनुसंधान, उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण का समन्वय करती है तथा कृषि, बागवानी, पशु विज्ञान और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में संस्थानों को दिशा प्रदान करती है।

वर्तमान में ICAR के अधीन 113 राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान और 74 कृषि विश्वविद्यालय कार्यरत हैं। यह नेटवर्क हरित क्रांति (Green Revolution) की सफलता का आधार रहा है और आज भी जलवायु अनुकूल किस्में व उन्नत कृषि तकनीकों के विकास में अग्रणी है।


कृषि प्रसार और गुणवत्ता सुधार की पहलें

ICAR के अंतर्गत 731 कृषिविज्ञान केंद्र (KVKs) संचालित हैं, जो किसानों को नई कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।
शैक्षणिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ICAR ने ‘ICAR Model Act (Revised 2023)’ और ‘Minimum Requirements for Establishing Agricultural Colleges’ जैसी नीतियां लागू की हैं।
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रत्यायन बोर्ड (NAEAB) के माध्यम से कृषि कॉलेजों को मान्यता दी जाती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनी रहे।


कृषि विश्वविद्यालयों का सशक्त नेटवर्क

देशभर में 63 राज्य कृषि विश्वविद्यालय (SAUs), 3 केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAUs), 4 “मानीत” विश्वविद्यालय (Deemed Universities) और 4 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कृषि संकाय कार्यरत हैं।
साथ ही 11 कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (ATARI) केंद्र किसानों और शोध संस्थानों को जोड़ने का काम कर रहे हैं।


निजी क्षेत्र में कृषि शिक्षा का विस्तार

राज्य सरकारों की नीतियों के अंतर्गत निजी संस्थानों को कृषि शिक्षा में प्रवेश की अनुमति दी गई है। ICAR इन संस्थानों को उनकी मांग पर मान्यता देता है।
पिछले पाँच वर्षों में ICAR से मान्यता प्राप्त निजी कृषि महाविद्यालयों की संख्या 5 (2020–21) से बढ़कर 22 (2024–25) हो गई है, जो कृषि शिक्षा के विस्तार और रोजगार सृजन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।


केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय : क्षेत्रीय विकास के केंद्र

1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RPCAU), पूसा (बिहार)

वर्ष 2016 में स्थापित RPCAU, बिहार के किसानों के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र है। विश्वविद्यालय में 8 संकाय/कॉलेज हैं जिनमें कृषि, बागवानी, कृषि अभियांत्रिकी, मत्स्य विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, वानिकी और खाद्य प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
विश्वविद्यालय 18 कृषिविज्ञान केंद्र (KVKs) संचालित करता है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे ग्रामीण युवाओं को रोजगारोन्मुख शिक्षा मिल सके।

2. केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU), इम्फाल (मणिपुर)

1993 में स्थापित, यह विश्वविद्यालय पूर्वोत्तर के सात राज्यों — अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा — में कृषि शिक्षा का प्रसार कर रहा है।
CAU के पास 13 घटक महाविद्यालय हैं और यहाँ 10 स्नातक, 48 परास्नातक और 34 पीएचडी कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 2982 विद्यार्थी नामांकित हैं।

3. रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RLBCAU), झांसी (उत्तर प्रदेश)

2014 में स्थापित, यह विश्वविद्यालय कृषि, पशु विज्ञान, बागवानी और कृषि अभियांत्रिकी में शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहित कर रहा है।
इसके कॉलेज झांसी (उ.प्र.) और दतिया (म.प्र.) में स्थित हैं। विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम में Internet of Things (IoT) और Artificial Intelligence (AI) जैसी तकनीकों का समावेश कर रहा है।


आधुनिक तकनीक : IoT और AI से स्मार्ट खेती की दिशा में कदम

भारत सरकार कृषि को आधुनिक और तकनीक आधारित बनाने के लिए IoT (Internet of Things) और AI (Artificial Intelligence) के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है।
इन तकनीकों से Precision Farming, ड्रोन आधारित निगरानी, स्वचालित सिंचाई, पशुधन मॉनिटरिंग और जलवायु स्मार्ट ग्रीनहाउस जैसी तकनीकें किसानों तक पहुंच रही हैं।

DST के राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (NM-ICPS) के तहत देश में 25 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (TIHs) स्थापित किए गए हैं, जिनमें से तीन कृषि क्षेत्र में IoT और AI अनुप्रयोगों पर केंद्रित हैं।
उदाहरण के तौर पर IIT रोपड़ का Agri/Water TIH, IIT बॉम्बे का “Internet of Everything” केंद्र और IIT खड़गपुर का AI4ICPS हब कृषि में तकनीकी नवाचारों पर कार्य कर रहे हैं।


डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टार्टअप इकोसिस्टम

इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने बेंगलुरु, गुरुग्राम, गांधीनगर और विशाखापट्टनम में IoT सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य Agri-Tech Startups को उद्योग, निवेशकों और शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ना है।
इसके अलावा राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGPA) के तहत राज्यों को डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि AI, IoT, Blockchain और Data Analytics जैसी तकनीकों का उपयोग खेती में बढ़े।


कृषि उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहन

राष्ट्र्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत “Innovation and Agri-Entrepreneurship Development Programme” 2018–19 से लागू है।
इस योजना के तहत स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और मेंटरशिप दी जा रही है। ये स्टार्टअप्स Agro-Processing, Food Technology, AI, IoT, Blockchain और Precision Farming जैसे क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ रही है और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बन रहे हैं।


 शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार का संगम

भारत की कृषि शिक्षा अब पारंपरिक दायरे से निकलकर डिजिटल और नवाचार आधारित युग में प्रवेश कर चुकी है।
AI, IoT और Smart Farming जैसी तकनीकों के साथ किसान अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती कर रहे हैं।
ATMA, STRY और SMAM जैसी योजनाएं ग्रामीण युवाओं को तकनीकी और उद्यमशीलता कौशल प्रदान कर रही हैं, जिससे गांवों में आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन बढ़ रहा है।

इन सभी पहलों से भारत “विकसित कृषि और समृद्ध किसान” के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण का यह सशक्त तंत्र भारत को आत्मनिर्भर कृषि राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान कर रहा है।


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.