कपास खरीद 2025-26: अब ऐप से करें पंजीकरण और पाएं सीधा बैंक में भुगतान
भारत में कपास खरीद व्यवस्था का डिजिटल रूपांतरण: 550 केंद्रों के साथ वस्त्र मंत्रालय ने रचा नया रिकॉर्ड, ‘कपास-किसान’ ऐप से किसानों को मिलेगा एमएसपी पर पारदर्शी व त्वरित भुगतान
कपास उत्पादन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है। देश के लाखों किसान इसकी खेती से अपनी आजीविका चलाते हैं। ऐसे में खरीफ कपास सीजन 2025-26 के लिए वस्त्र मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) परिचालन की तैयारियों की व्यापक समीक्षा की है। मंत्रालय का यह अभियान केवल कपास खरीद तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत कृषि क्षेत्र में तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक निर्णायक पहल है।
बैठक की अध्यक्षता वस्त्र मंत्रालय की सचिव श्रीमती नीलम शमी राव ने की, जिसमें भारतीय कपास निगम लिमिटेड (CCI), मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा 11 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उद्देश्य था — किसान-केंद्रित खरीद प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सुलभ और डिजिटल बनाना।
एमएसपी पर कपास खरीद के लिए रिकॉर्ड 550 केंद्रों की स्थापना
कपास खरीद केंद्र निम्नलिखित क्षेत्रों में निर्धारित तिथियों से परिचालन में लाए जाएंगे:
- उत्तरी क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान) — 1 अक्टूबर 2025 से
- मध्य क्षेत्र (गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा) — 15 अक्टूबर 2025 से
- दक्षिणी क्षेत्र (तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु) — 21 अक्टूबर 2025 से
इस रणनीतिक विभाजन से फसल तैयारियों के अनुरूप खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा और किसानों को अनावश्यक विलंब से राहत मिलेगी।
‘कपास-किसान’ ऐप: किसानों का डिजिटल साथी
भारत सरकार के डिजिटल-प्रथम दृष्टिकोण को सशक्त बनाते हुए वस्त्र मंत्रालय ने कपास किसानों के लिए विशेष रूप से विकसित ‘कपास-किसान’ मोबाइल ऐप को देशभर में लागू किया है।
यह ऐप किसानों को तकनीक के माध्यम से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का प्रयास है। इसके मुख्य लाभ हैं:
- स्व-पंजीकरण (Self-Registration): किसान स्वयं अपने मोबाइल से एमएसपी खरीद केंद्र पर पंजीकरण कर सकते हैं।
- 7-दिवसीय स्लॉट बुकिंग: किसान अपनी सुविधानुसार स्लॉट बुक कर सकते हैं, जिससे अनावश्यक भीड़ और समय की बर्बादी से बचा जा सके।
- वास्तविक समय भुगतान ट्रैकिंग: किसानों को उनके भुगतान की स्थिति रियल टाइम में दिखाई देगी।
डिजिटल भुगतान प्रणाली: आधार से जुड़ी पारदर्शिता
हर किसान को बिल निर्माण से लेकर भुगतान पुष्टि तक एसएमएस अलर्ट भेजे जाएंगे, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
मंत्रालय का उद्देश्य है कि किसानों को किसी प्रकार की दलाली, देरी या दस्तावेजी झंझट का सामना न करना पड़े।
स्थानीय निगरानी समितियां (LMC) और शिकायत निवारण तंत्र
राज्यों के सहयोग से भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण
किसानों को दी गई महत्वपूर्ण सलाह
वस्त्र मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कपास खरीद प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर अनियमितता, विलंब या शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सचिव का संदेश: किसान-केंद्रित और पारदर्शी प्रणाली हमारी प्राथमिकता
बैठक के समापन पर सचिव श्रीमती नीलम शमी राव ने कहा—
“भारत का कपास क्षेत्र न केवल किसानों की आजीविका का आधार है बल्कि देश की वस्त्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है।वस्त्र मंत्रालय का लक्ष्य है कि एमएसपी खरीद व्यवस्था को पूरी तरह डिजिटल, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया जाए।हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर कपास उत्पादक किसान को उसका हक बिना किसी देरी और पूरी ईमानदारी के साथ मिले।”
उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का सहयोग, अंतर-मंत्रालयी समन्वय और डिजिटल एकीकरण ही इस परिवर्तन की सफलता के तीन प्रमुख स्तंभ हैं।
कपास खरीद में नया युग: पारदर्शिता, तकनीक और किसान हित
इस पहल से किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, एमएसपी प्रणाली में भरोसा सुदृढ़ होगा और भारत के वस्त्र उद्योग को स्थिर कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
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