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पंजाब में जीएसटी सुधार 2025: कपड़ा, डेयरी और हस्तशिल्प उद्योग को बड़ी राहत

जीएसटी सुधारों से पंजाब के उद्योग, रोजगार और आजीविका को नई रफ्तार

पंजाब में जीएसटी सुधार 2025: कपड़ा, डेयरी और हस्तशिल्प उद्योग को बड़ी राहत

12% से घटाकर 5% जीएसटी करने से वस्त्र, हस्तशिल्प, फुटवियर, धातु, डेयरी, एग्रो और साइकिल उद्योगों को मिला बड़ा लाभ

चंडीगढ़, अक्टूबर 2025:
पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में नई जान फूंकने वाले जीएसटी सुधारों को लागू किया है। इन सुधारों के तहत वस्त्र, हस्तशिल्प, जूता निर्माण, धातु उत्पाद, डेयरी, खाद्य एवं कृषि उत्पादों तथा साइकिल उद्योग पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।

इस कदम से पंजाब के लाखों किसानों, कारीगरों, एमएसएमई इकाइयों और श्रमिकों को राहत मिली है। साथ ही उत्पादों की लागत में कमी आने से वस्तुएं अब अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी बन गई हैं। इस कर सुधार का उद्देश्य मांग को बढ़ावा देना, उत्पादन को प्रोत्साहित करना, रोजगार सृजन को बढ़ाना और पंजाब की अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाना है।


वस्त्र एवं परिधान उद्योग को नई दिशा

पंजाब का वस्त्र उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था की नींव माना जाता है। यहां फुलकारी कढ़ाई, ऊनी शॉल, हैंड ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े और पारंपरिक परिधान विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।

जीएसटी में 12% से 5% की कटौती से इन उत्पादों की लागत घटेगी, जिससे ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। इस सुधार से हजारों बुनकरों, कढ़ाई करने वाले कारीगरों और लघु उद्योग इकाइयों को प्रत्यक्ष लाभ होगा। इससे न केवल बिक्री बढ़ेगी, बल्कि निर्यात में भी वृद्धि की संभावना है।

फुलकारी कढ़ाई जैसे उत्पादों में ही लगभग 20,000 कारीगर जुड़े हुए हैं, जिन्हें इस कर सुधार से सीधा लाभ मिलेगा। इससे पंजाब के वस्त्र उद्योग को नई गति और पहचान मिलेगी।


पंजाबी जूती उद्योग को राहत

पंजाब की पारंपरिक पहचान पंजाबी जूती का निर्माण पटियाला, अमृतसर और फाजिल्का के कारीगरों द्वारा किया जाता है। यह उद्योग लगभग 15,000 लोगों को रोजगार देता है। जूतियां न केवल घरेलू बाजारों में, बल्कि ब्रिटेन, कनाडा और अन्य देशों में भी लोकप्रिय हैं।

जीएसटी दर में कमी से उत्पादन लागत घटेगी, जिससे जूतियों की कीमत कम होगी और बिक्री में वृद्धि होगी। यह सुधार इस पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करेगा, छोटे पैमाने के उद्यमों को मजबूत बनाएगा और निर्यात क्षमता को बढ़ाएगा। इससे कारीगरों की आय में सुधार होगा और पंजाब की पारंपरिक कारीगरी को विश्व पटल पर और मजबूती मिलेगी।


हस्तशिल्प और लकड़ी उत्पादों को प्रोत्साहन

पंजाब के हस्तशिल्प और लकड़ी उद्योग को भी जीएसटी सुधारों से बड़ा प्रोत्साहन मिला है। होशियारपुर और पटियाला में लकड़ी के फर्नीचर, सजावटी वस्तुएं और हस्तनिर्मित उत्पाद बनाए जाते हैं। इन उद्योगों में करीब 8,000 कारीगर कार्यरत हैं।

जीएसटी को 12% से घटाकर 5% किए जाने से इन उत्पादों की लागत में कमी आएगी और बाजार में इनकी मांग बढ़ेगी। इससे लकड़ी शिल्प उद्योग को घरेलू ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी नई पहचान मिलेगी। यह सुधार पारंपरिक कारीगरी को सुरक्षित रखेगा और एमएसएमई इकाइयों को सशक्त करेगा।


लकड़ी की लाख खिलौना उद्योग में नई जान

अमृतसर के छोटे उद्योगों में लकड़ी की लाख के खिलौने बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। इस उद्योग में करीब 3,000 महिला कारीगर कार्यरत हैं।

जीएसटी दर घटने से इन हस्तनिर्मित खिलौनों की लागत कम होगी और ये उत्पाद घरेलू बाजारों में अधिक लोकप्रिय होंगे। साथ ही, विदेशों में भारतीय पारंपरिक खिलौनों की मांग बढ़ने से इस उद्योग को निर्यात के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। यह सुधार न केवल पारंपरिक कारीगरी को जीवित रखेगा बल्कि महिला स्वावलंबन को भी बढ़ावा देगा।


धातु उद्योग को मजबूती

पंजाब के जालंधर और लुधियाना शहर धातु उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। यहां स्टेनलेस स्टील, पीतल और तांबे के बर्तनों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।

स्टील किचनवेयर उद्योग, जिसमें लगभग 25,000 श्रमिक कार्यरत हैं, को जीएसटी में राहत से बड़ा लाभ हुआ है। उत्पादन लागत घटने से उत्पाद सस्ते होंगे और घरेलू व ऑनलाइन बिक्री दोनों में वृद्धि होगी।

जालंधर में पारंपरिक पीतल और तांबे के बर्तन बनाने वाले 5,000 कारीगरों को भी इस सुधार से सीधा लाभ मिलेगा। यह कर कटौती पारंपरिक धातु शिल्प को संरक्षित करने और निर्यात बढ़ाने में मदद करेगी।


खाद्य और कृषि उत्पादों को बढ़ावा

पंजाब भारत का एक प्रमुख कृषि और डेयरी उत्पादक राज्य है। यहां दूध, घी, मक्खन, पनीर, दही, व्हाइटनर, चॉकलेट और अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन व्यापक स्तर पर होता है।

इन उत्पादों पर जीएसटी दर में कमी से उत्पादन लागत घटेगी और लाभ मार्जिन बढ़ेगा। इससे न केवल छोटे उत्पादकों और सहकारी समितियों को फायदा होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ते और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध होंगे।

यह सुधार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा, रोजगार बढ़ाएगा और पंजाब के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।


नमकीन और स्नैक उद्योग में उछाल

लुधियाना और जालंधर के नमकीन एवं स्नैक उद्योगों में 30,000 से अधिक लोग, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, कार्यरत हैं। यह उद्योग घरेलू बाजार के साथ-साथ एयरलाइंस और निर्यात बाजार को भी आपूर्ति करता है।

जीएसटी को घटाकर 5% करने से खुदरा कीमतों में 6–7% की गिरावट आई है, जिससे बिक्री में वृद्धि हुई है। यह सुधार एमएसएमई इकाइयों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने, रोजगार बढ़ाने और महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


अचार और संरक्षित खाद्य उत्पाद उद्योग को प्रोत्साहन

गुरदासपुर और होशियारपुर के महिला स्व-सहायता समूहों (SHGs) द्वारा बनाए गए अचार, जैम, और अन्य पारंपरिक खाद्य उत्पादों की अब बाजार में और अधिक मांग है। करीब 10,000 महिला उद्यमी इस उद्योग से जुड़ी हैं।

जीएसटी दर में कमी से इन उत्पादों की कीमतें घटेंगी, जिससे बिक्री बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी विस्तार की संभावना बनेगी। इससे ग्रामीण महिला उद्यमिता और आत्मनिर्भर भारत मिशन को बल मिलेगा।


साइकिल उद्योग को नई रफ्तार

लुधियाना का साइकिल उद्योग, जो पंजाब की औद्योगिक पहचान का प्रतीक है, में जीएसटी घटने से नई ऊर्जा आई है।
करीब 40,000 से अधिक लोग इस उद्योग से जुड़े हैं। 12% से घटकर 5% जीएसटी होने से साइकिलें सस्ती होंगी, जिससे घरेलू मांग बढ़ेगी और निर्यात में भी तेजी आएगी। यह सुधार पूरे उत्पादन और आपूर्ति शृंखला में रोजगार को बढ़ावा देगा और पंजाब की औद्योगिक साख को मजबूत करेगा।


निष्कर्ष

पंजाब में लागू हुए ये जीएसटी सुधार केवल कर में कटौती नहीं हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में समावेशी विकास और रोजगार सृजन की नई शुरुआत हैं।

इन सुधारों से उत्पाद सस्ते हुए हैं, बाजार में मांग बढ़ी है और उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हुई है। साथ ही, लाखों कारीगरों, किसानों और श्रमिकों की आजीविका मजबूत हुई है।

यह कदम पंजाब की कृषि, उद्योग और पारंपरिक कारीगरी को एक साथ जोड़ते हुए राज्य को “उत्पादन, रोजगार और समृद्धि” के नए युग की ओर अग्रसर कर रहा है।


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