81 करोड़ नागरिकों तक खाद्य और पोषण सुरक्षा पहुँचाने की दिशा में भारत सरकार का ऐतिहासिक अभियान
खाद्य और पोषण समानता की दिशा में एक नया युग
भारत सरकार ने देश की जनता को भूख और कुपोषण से मुक्त करने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई है। उद्देश्य केवल यह नहीं है कि हर नागरिक के पास पर्याप्त भोजन हो, बल्कि यह भी कि उसे पौष्टिक और सुरक्षित भोजन मिले। इस दिशा में वर्षों से जारी प्रयासों को नई गति देने के लिए केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और पोषण के क्षेत्र में कई अभिनव योजनाएँ लागू की हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन तक
वर्ष 2007–08 में शुरू हुआ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) भारत के कृषि क्षेत्र में परिवर्तन का आधार बना। इस मिशन ने धान, गेहूं और दालों की उत्पादकता बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। बाद में वर्ष 2014–15 में मोटे अनाजों को भी इसमें शामिल किया गया ताकि संतुलित आहार सुनिश्चित किया जा सके।
वर्ष 2024–25 में इस मिशन को पुनर्गठित करते हुए इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM) का नाम दिया गया। इस नए संस्करण में अब उत्पादन के साथ-साथ पोषण सुधार को भी समान प्राथमिकता दी गई है, ताकि हर नागरिक स्वस्थ और सक्षम जीवन जी सके।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 – भूख के खिलाफ सबसे मजबूत कवच
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत सरकार का वह कानून है जो हर नागरिक को भोजन का संवैधानिक अधिकार देता है। इस अधिनियम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की 75% और शहरी क्षेत्रों की 50% जनसंख्या यानी लगभग 81.35 करोड़ लोग सस्ती दरों (वर्तमान में पूर्णतः निशुल्क) पर खाद्यान्न प्राप्त करते हैं।
अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के परिवारों को प्रति माह 35 किलोग्राम अनाज दिया जाता है, जबकि प्राथमिकता वाले परिवारों (PHH) को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अनाज मिलता है।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2023 से दिसंबर 2028 तक सभी लाभार्थियों को निःशुल्क अनाज देने का निर्णय लिया है, जिस पर 11.80 लाख करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है।
अक्टूबर 2025 तक 78.90 करोड़ नागरिकों को नियमित रूप से निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध हो रहा है, जिससे देश में भूखमरी और कुपोषण में बड़ी कमी आई है।
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) – पारदर्शिता और तकनीक का संगम
NFSA की सफलता काफी हद तक लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) पर निर्भर करती है।
इसमें केंद्र सरकार खाद्यान्न की खरीद और आवंटन का कार्य करती है, जबकि राज्य सरकारें लाभार्थियों की पहचान, राशन कार्ड वितरण और उचित मूल्य की दुकानों का संचालन करती हैं।
अब तक 99.9% राशन कार्ड्स आधार से जोड़े जा चुके हैं, और देशभर की 5.41 लाख उचित मूल्य की दुकानों को e-PoS मशीनों से जोड़ा गया है। इससे वितरण प्रणाली अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनी है।
सरकार की प्रमुख पहलें – हर थाली तक पोषण पहुँचाने की दिशा में
1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)
कोविड महामारी के समय शुरू हुई यह योजना अब NFSA का हिस्सा है। केंद्र सरकार के 100% वित्त पोषण से यह योजना दिसंबर 2028 तक जारी रहेगी। इसका लाभ यह है कि हर पात्र परिवार को बिना किसी आर्थिक बोझ के आवश्यक खाद्यान्न उपलब्ध हो रहा है।
2. चावल सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम (Rice Fortification)
भारत सरकार ने 2019 में कुपोषण से लड़ने के लिए सुदृढ़ चावल वितरण की पहल शुरू की थी। अब 2024 से सभी सार्वजनिक योजनाओं के तहत वितरित चावल को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 से पोषित किया जा रहा है। यह कदम बच्चों और महिलाओं में एनीमिया रोकने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ है। इस योजना पर ₹17,082 करोड़ की लागत से दिसंबर 2028 तक कार्य जारी रहेगा।
3. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)
2015 में आरंभ यह व्यवस्था लाभार्थियों को नकद राशि सीधे उनके बैंक खातों में प्रदान करती है ताकि वे अपनी पसंद का खाद्य खरीद सकें। यह योजना चंडीगढ़, पुडुचेरी और दमन-दीव एवं दादरा नगर हवेली में लागू है और इससे पारदर्शिता तथा आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ावा मिला है।
4. एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ONORC)
इस पहल ने प्रवासी मजदूरों और कमजोर वर्गों के लिए जीवन को सरल बनाया है। देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू इस योजना से 81 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसी भी स्थान से राशन प्राप्त कर सकते हैं। अब तक 191 करोड़ लेन-देन इस पोर्टेबिलिटी सिस्टम के तहत दर्ज किए गए हैं।
महिला और बाल पोषण कार्यक्रम – अगली पीढ़ी का सशक्तिकरण
एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS)
यह योजना गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और छह वर्ष तक के बच्चों को पूरक पोषण, स्वास्थ्य जांच और परामर्श उपलब्ध कराती है। “टेक होम राशन” और गर्म भोजन के माध्यम से देश के लाखों परिवारों को पोषण सुरक्षा दी जा रही है।
प्रधानमंत्री पोषण योजना (PM POSHAN)
पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना के रूप में जानी जाने वाली यह योजना विद्यालयों के बच्चों को पौष्टिक गर्म भोजन उपलब्ध कराती है। इससे न केवल बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हुआ है बल्कि स्कूलों में उपस्थिति भी बढ़ी है।
कृषि खरीद, भंडारण और मूल्य स्थिरता के प्रयास
किसानों को उचित मूल्य देने और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल खरीदती है।
जुलाई 2025 तक केंद्रीय पूल में 377.83 LMT चावल और 358.78 LMT गेहूं सुरक्षित रूप से संग्रहित था।
खरीफ विपणन सत्र 2024–25 में 813.88 LMT धान की खरीद कर 1.15 करोड़ किसानों को ₹1.9 लाख करोड़ का भुगतान किया गया, जबकि रबी सत्र 2025–26 में 300.35 LMT गेहूं खरीद से 25.13 लाख किसानों को ₹72,834 करोड़ का लाभ मिला।
डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की नई दिशा
सरकार ने एकीकृत खाद्य प्रबंधन प्रणाली (IFMS) लागू कर पूरे वितरण तंत्र को डिजिटल रूप दिया है। इससे डेटा रियल-टाइम में उपलब्ध होता है और अनियमितताओं पर नियंत्रण पाया गया है।
इसके अतिरिक्त, Open Market Sale Scheme (OMSS-D) के तहत अधिशेष अनाज बाजार में नियंत्रित दरों पर बेचा जाता है ताकि महंगाई न बढ़े।
भारत अटा, भारत चावल और भारत दाल जैसी पहलों ने आम उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध कराया है।
निष्कर्ष – हर भारतीय की थाली में सम्मान और पोषण
भारत सरकार का यह बहुआयामी मिशन उत्पादन, वितरण और पोषण – इन तीन स्तंभों पर खड़ा है।
NFSNM किसानों की उत्पादकता और आय बढ़ाने का माध्यम है, जबकि NFSA और PMGKAY जैसे कार्यक्रम यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी नागरिक की थाली खाली न रहे।
Rice Fortification, ONORC, DBT और ICDS जैसी योजनाएँ इस प्रयास को और सशक्त बनाती हैं।
यह मिशन केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प है — ऐसा संकल्प जो भारत को भूख और कुपोषण से मुक्त, आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगा।
भारत आज उस दिशा में अग्रसर है जहाँ 81 करोड़ नागरिकों को समान खाद्य और पोषण अधिकार प्राप्त हैं — यही है समृद्ध और स्वस्थ भारत का आधार।
Post a Comment