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पीएम मोदी ने शुरू किया दलहन आत्मनिर्भरता मिशन 2025

भारत का ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’: पोषण सुरक्षा और किसानों की समृद्धि की नई दिशा

भारत सरकार ने देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), नई दिल्ली में आयोजित विशेष कृषि कार्यक्रम के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन (Mission for Aatmanirbharta in Pulses)” का शुभारंभ किया। इस मिशन के लिए कुल ₹11,440 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो वर्ष 2025–26 से 2030–31 तक लागू रहेगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने किसानों के साथ संवाद किया और दलहन क्षेत्र को सशक्त करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता केवल उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों की आय, पोषण सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में एक समग्र प्रयास है। उन्होंने कहा कि दलहन भारत के पोषण, मृदा स्वास्थ्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तीनों धुरी हैं, इसलिए देश का आत्मनिर्भर होना न केवल आर्थिक आवश्यकता है बल्कि एक सामाजिक और पोषणीय जिम्मेदारी भी है।


🌾 मिशन की पृष्ठभूमि

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक देश है। दलहन भारतीय आहार में प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के अनुसार, भारतीयों के कुल प्रोटीन सेवन का लगभग 20–25 प्रतिशत योगदान दलहन से होता है। इसके बावजूद, देश में दलहन की खपत अभी भी अनुशंसित 85 ग्राम प्रतिदिन के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है। परिणामस्वरूप, प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण की समस्या बनी हुई है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन (NFSM) के तहत लगातार प्रयासों से भारत का दलहन उत्पादन वर्ष 2013–14 के 192.6 लाख टन से बढ़कर 2024–25 में 252.38 लाख टन (तीसरा अग्रिम अनुमान) तक पहुंच गया है — यह 31% की वृद्धि को दर्शाता है।
इसके बावजूद, वर्ष 2023–24 में भारत को 47.38 लाख टन दलहन का आयात करना पड़ा, जबकि 5.94 लाख टन का निर्यात हुआ। यह स्पष्ट करता है कि देश में अभी भी उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने लक्ष्य रखा है कि दिसंबर 2027 तक भारत दलहन उत्पादन में पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करेगा, विशेष रूप से तूर (अरहर), उड़द और मसूर के क्षेत्र में। यह मिशन “विकसित भारत – 2047” के दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है, जिसमें सतत विकास, कृषि विविधता और किसानों के सशक्तिकरण पर बल दिया गया है।


🎯 मिशन का उद्देश्य

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन (2025–31) का मुख्य उद्देश्य देश को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना, किसानों की आय में स्थिरता लाना और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस मिशन के अंतर्गत:

  • देश में 35 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर दलहन की खेती बढ़ाई जाएगी।
  • विशेष रूप से धान की परती भूमि और अन्य उपयुक्त क्षेत्रों को दलहन खेती के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
  • 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीजों का उत्पादन और वितरण किया जाएगा।
  • किसानों को 88 लाख निःशुल्क बीज किट उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • उच्च उत्पादकता वाले, रोग प्रतिरोधक और जलवायु-अनुकूल किस्मों के विकास और वितरण को प्राथमिकता दी जाएगी।

🌱 संचालन रणनीति और SATHI पोर्टल

राज्य सरकारों को 5-वर्षीय बीज उत्पादन योजनाएँ तैयार करनी होंगी। इन योजनाओं के अंतर्गत ICAR द्वारा बीज गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी।
बीज वितरण की पूरी प्रक्रिया SATHI पोर्टल (Seed Authentication, Traceability & Holistic Inventory) के माध्यम से डिजिटल रूप से मॉनिटर की जाएगी। यह पोर्टल कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा विकसित किया गया है।
इस पोर्टल के माध्यम से बीज उत्पादन से लेकर प्रमाणन, लाइसेंसिंग, बिक्री और ट्रेसबिलिटी तक पूरी श्रृंखला पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।

मिशन के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, संतुलित उर्वरक उपयोग, पौध संरक्षण, यंत्रीकरण, और प्रदर्शन कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने पर बल दिया गया है। ICAR, कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और राज्य कृषि विभागों के सहयोग से इस मिशन को लागू किया जाएगा।


💰 PM-AASHA के तहत मूल्य समर्थन और खरीद व्यवस्था

किसानों को मूल्य सुरक्षा और बाजार स्थिरता प्रदान करने के लिए सरकार ने घोषणा की है कि तूर, उड़द और मसूर की 100% खरीद अगले चार वर्षों तक प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षा अभियान (PM-AASHA) के तहत की जाएगी।
NAFED और NCCF इन फसलों की खरीद के लिए जिम्मेदार होंगे। इससे किसानों को समय पर और उचित मूल्य प्राप्त होगा तथा बाजार में अस्थिरता को कम किया जा सकेगा।

PM-AASHA योजना, जिसे वर्ष 2018 में प्रारंभ किया गया था, का उद्देश्य किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ सुनिश्चित करना, उनकी आय में स्थिरता लाना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है। सितंबर 2024 में इस योजना को पुनः स्वीकृति दी गई है ताकि दलहन, तिलहन और कोप्रा उत्पादक किसानों को निरंतर समर्थन मिल सके।


🏭 प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए पहल

मिशन के तहत 1,000 प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
इन इकाइयों को ₹25 लाख तक की सब्सिडी दी जाएगी ताकि किसान स्थानीय स्तर पर उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर सकें और पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान को कम किया जा सके।
यह पहल ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी।

मिशन में क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिसे नीति आयोग ने भी अपनी सिफारिशों में समर्थन दिया है। इससे संसाधनों का कुशल उपयोग, फसल विविधीकरण और क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ावा मिलेगा।


📊 मुख्य लक्ष्य (2030–31 तक)

  • कुल दलहन क्षेत्रफल: 310 लाख हेक्टेयर
  • कुल उत्पादन लक्ष्य: 350 लाख टन
  • औसत उत्पादकता: 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
  • बीज उत्पादन लक्ष्य: 126 लाख क्विंटल
  • विदेशी मुद्रा की बचत और आयात में उल्लेखनीय कमी
  • ग्रामीण रोजगार में वृद्धि और किसानों की आय में स्थिरता

📘 नीति आयोग की रिपोर्ट (सितंबर 2025)

नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट “भारत में दलहन आत्मनिर्भरता” में राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के 885 किसानों से प्राप्त सुझावों को सम्मिलित किया गया है।
रिपोर्ट में निम्नलिखित प्रमुख सिफारिशें दी गई हैं:

  • “वन ब्लॉक – वन सीड विलेज” मॉडल के तहत बीज उत्पादन को प्रोत्साहन।
  • क्लस्टर आधारित बीज हब और FPO नेटवर्क की स्थापना।
  • स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण और खरीद केंद्रों की स्थापना से किसानों की आय में वृद्धि।
  • पोषण योजनाओं (PDS, मिड-डे मील आदि) में दलहन को अनिवार्य रूप से शामिल करना।
  • जलवायु अनुकूल और अल्पावधि फसलों को बढ़ावा देना।
  • SATHI पोर्टल के माध्यम से डेटा-आधारित निगरानी और ट्रेसबिलिटी सिस्टम विकसित करना।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि दलहन उत्पादन को वैज्ञानिक, संगठित और तकनीकी दृष्टि से मजबूत किया जाए तो भारत अगले कुछ वर्षों में न केवल आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि निर्यातक देश के रूप में भी उभरेगा।


🇮🇳 निष्कर्ष

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” भारत के कृषि इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह केवल एक उत्पादन कार्यक्रम नहीं, बल्कि किसानों की आय वृद्धि, पोषण सुरक्षा और ग्रामीण विकास की समग्र रणनीति है।

इस मिशन से भारत में दलहन उत्पादन में निरंतर वृद्धि होगी, आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
साथ ही, यह मिशन देश में जलवायु-संवेदनशील और सतत कृषि को बढ़ावा देगा, जिससे मृदा स्वास्थ्य, रोजगार सृजन और ग्रामीण समृद्धि में अभूतपूर्व सुधार आएगा।

यह पहल भारत को न केवल पोषण सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम सिद्ध होगी।
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन – किसानों की शक्ति, पोषण की सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत की पहचान।


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