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शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब में किसानों से की बातचीत, पराली न जलाने की अपील

शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब में किसानों से संवाद किया, पराली प्रबंधन और आधुनिक खेती को बढ़ावा देने की अपील


लुधियाना, पंजाब — केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पंजाब के लुधियाना जिले के नूरपुर बेट गांव में आयोजित किसान चौपाल में किसानों से संवाद किया। अपने इस दौरे के दौरान उन्होंने किसानों से फसल अवशेष (पराली) प्रबंधन, टिकाऊ कृषि तकनीक और आय बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। इसके साथ ही, उन्होंने कृषि यंत्रों का प्रत्यक्ष प्रदर्शन देखा और दोराहा गांव स्थित ‘समन्यु हनी’ मधुमक्खी पालन केंद्र का भी निरीक्षण किया।


कृषि यंत्रों का प्रदर्शन: खेतों में तकनीकी क्रांति का उदाहरण

कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SSMS) से सुसज्जित कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा धान कटाई का प्रदर्शन देखा। यह तकनीक पराली को समान रूप से खेत में फैलाती है, जिससे किसानों को बाद में इसे मिट्टी में मिलाने में सुविधा होती है।

इसके साथ ही, उन्होंने ‘हैप्पी स्मार्ट सीडर मशीन’ का भी निरीक्षण किया, जो गेहूं की बुवाई के लिए एक उन्नत कृषि यंत्र है। यह मशीन खेत में मौजूद अवशेषों को मिट्टी में मिलाते हुए बीज की उचित गहराई पर बुवाई करती है। श्री चौहान ने कहा कि इस तकनीक से किसान का समय, श्रम और लागत – तीनों की बचत होती है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

उन्होंने कहा, “अब खेती का स्वरूप बदल रहा है। नई तकनीकें किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद कर रही हैं। आधुनिक यंत्रों का उपयोग केवल सुविधा नहीं, बल्कि दीर्घकालिक लाभ का माध्यम है।”


नूरपुर बेट गांव की सराहना: 2017 से नहीं जलाई पराली

श्री शिवराज सिंह चौहान ने नूरपुर बेट के किसानों की सराहना की कि उन्होंने 2017 से पराली नहीं जलाई और इसके बजाय वैज्ञानिक अवशेष प्रबंधन को अपनाया। उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है।

मंत्री ने कहा, “पराली जलाना मिट्टी की सेहत और वातावरण दोनों के लिए हानिकारक है। पराली को खेत में मिलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे उर्वरक की जरूरत घटती है। केवल दो साल में किसानों की फसल उपज में लगभग दो क्विंटल प्रति एकड़ की बढ़ोतरी हो सकती है।”

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली जलाने से परहेज करें और सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे कृषि यंत्रों, सब्सिडी योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाएं।


वैज्ञानिक अवशेष प्रबंधन से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फसल अवशेषों का सही प्रबंधन न केवल पर्यावरण को बचाता है, बल्कि मिट्टी की संरचना और उर्वरता को भी मजबूत करता है। उन्होंने बताया कि डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) और हैप्पी सीडर तकनीक जैसे उपाय मिट्टी में जैविक तत्वों को बनाए रखते हैं, जिससे लंबे समय में फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को पराली प्रबंधन मशीनों पर 50% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान आधुनिक तकनीक अपना सकें।


समन्यु हनी’ केंद्र का दौरा: ग्रामीण आजीविका में नई दिशा

श्री चौहान ने अपने दौरे के दौरान दोराहा गांव स्थित ‘समन्यु हनी’ बीकीपिंग सेंटर का दौरा किया। यहां उन्होंने मधुमक्खी पालकों और ग्रामीण उद्यमियों से बातचीत की और मधुमक्खी पालन (Apiculture) को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रभावी साधन बताया।

उन्होंने कहा कि “मधुमक्खी पालन किसानों की अतिरिक्त आय का विश्वसनीय स्रोत बन सकता है। इससे फसलों का परागण भी बेहतर होता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है। सरकार इस क्षेत्र में नवाचार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता को और बढ़ावा दे रही है।”

कृषि मंत्री ने केंद्र की विभिन्न योजनाओं जैसे राष्ट्रीय मधुमक्खी एवं शहद मिशन (NBHM) और ग्राम आजीविका मिशन (NRLM) के बारे में जानकारी साझा की और किसानों को इनसे जुड़ने का आग्रह किया।


प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में टिकाऊ कृषि की दिशा में अग्रसर भारत

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति आ रही है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि भारत का हर किसान ‘आत्मनिर्भर किसान’ बने। इसके लिए केंद्र सरकार किसानों को मशीनरी, प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और बाजार तक पहुँच में मदद कर रही है।”

श्री चौहान ने बताया कि सरकार आने वाले समय में पराली प्रबंधन, जैविक खेती, प्राकृतिक कृषि और सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर एक व्यापक योजना पर काम कर रही है।


किसानों से सीधे संवाद – सरकार और खेतों के बीच मजबूत रिश्ता

किसान चौपाल के दौरान श्री चौहान ने किसानों की समस्याएं सुनीं और समाधान के लिए स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “केंद्र सरकार का लक्ष्य किसानों से सीधे जुड़ना है, ताकि नीतियों का लाभ जमीन तक पहुंचे।”

उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे कृषि क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप्स की दिशा में कदम बढ़ाएं, क्योंकि आधुनिक खेती में रोजगार और उद्यमिता की असीम संभावनाएं हैं।


निष्कर्ष: तकनीक, परंपरा और पर्यावरण का संतुलन

श्री शिवराज सिंह चौहान के पंजाब दौरे ने यह संदेश दिया कि खेती अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी आधारित आधुनिक उद्योग बन चुकी है। पराली प्रबंधन, यंत्रीकरण और मधुमक्खी पालन जैसे कदम भारत को टिकाऊ और आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “भारत के किसान हमारे अन्नदाता ही नहीं, बल्कि पर्यावरण रक्षक और परिवर्तन के वाहक भी हैं। केंद्र सरकार हर किसान के साथ खड़ी है, ताकि हर खेत खुशहाल हो और हर किसान समृद्ध।”

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