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Coal India और IIT Madras मिलकर बनाएंगे Sustainable Energy Centre

कोल इंडिया लिमिटेड और आईआईटी मद्रास ने मिलकर स्थापित किया “सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी” — भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति की दिशा में ऐतिहासिक पहल

Coal India और IIT Madras मिलकर बनाएंगे Sustainable Energy Centre


भारत की ऊर्जा यात्रा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT Madras) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत आईआईटी मद्रास परिसर में “सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी” की स्थापना की जाएगी, जो भारत की स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान का केंद्र बनेगा।


कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास का सहयोग – ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में बड़ा कदम

इस समझौते पर कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक (तकनीकी) श्री अच्युत घटक और आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कोल इंडिया के अध्यक्ष श्री पी.एम. प्रसाद सहित दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

यह सहयोग भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा, जहां परंपरागत कोयला आधारित उद्योग अब सतत और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा तकनीकों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह केंद्र न केवल अनुसंधान एवं विकास (R&D) का केंद्र बनेगा, बल्कि भविष्य के ऊर्जा समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी – अनुसंधान और नवाचार का केंद्र

यह केंद्र भारत में सस्टेनेबल एनर्जी टेक्नोलॉजीज पर अत्याधुनिक अनुसंधान करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य कोयला खदानों के पुनः उपयोग, लो-कार्बन टेक्नोलॉजी, और कोयले को स्वच्छ ऊर्जा फीडस्टॉक के रूप में पुनर्परिभाषित करने जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान विकसित करना है।

यह पहल कोल इंडिया की विविधीकरण रणनीति (Strategic Diversification Goals) के तहत की गई है, जिससे कंपनी पारंपरिक कोयला उत्पादन के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी इनोवेशन में भी अग्रणी भूमिका निभा सके।


भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों की दिशा में मजबूत कदम

भारत ने वर्ष 2070 तक नेट-जीरो एमिशन हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास के बीच यह साझेदारी इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष, श्री पी.एम. प्रसाद ने इस अवसर पर कहा,

“कोल इंडिया अब केवल देश की ऊर्जा आपूर्ति का स्तंभ नहीं रहेगा, बल्कि भारत की स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन यात्रा का प्रेरक बनेगा। यह समझौता हमारे सतत विकास के संकल्प को नई दिशा देगा। आईआईटी मद्रास के सहयोग से हम देश में ऊर्जा सुरक्षा, डीकार्बोनाइजेशन और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने वाले स्वदेशी समाधान तैयार करेंगे।”


आईआईटी मद्रास की दृष्टि – उद्योग और अकादमिक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण

आईआईटी मद्रास के निदेशक, प्रो. वी. कामकोटी ने इस अवसर पर कहा,

“उद्योग और अकादमिक सहयोग ने हमेशा आईआईटी मद्रास की शोध यात्रा को सशक्त किया है। कोल इंडिया के साथ यह साझेदारी हमारे उस दृष्टिकोण को मजबूत करती है, जिसके तहत हम भारत को लो-कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य ऐसे समाधान विकसित करना है जो बड़े पैमाने पर लागू हों और भारत के सतत ऊर्जा भविष्य का निर्माण करें।”


मानव संसाधन विकास में भी निभाएगा प्रमुख भूमिका

“सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी” न केवल अनुसंधान का केंद्र होगा, बल्कि मानव पूंजी विकास (Human Capital Development) में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

इस केंद्र के माध्यम से पीएचडी, पोस्ट-डॉक्टोरल और इंटर्नशिप कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे, जिससे देश के युवा शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान में काम करने के अवसर मिलेंगे। यह पहल आने वाले वर्षों में भारत की ग्रीन एनर्जी प्रतिभा (Green Energy Talent Pool) को मजबूत बनाएगी।


कोल इंडिया की नई पहचान – “ब्लैक से ग्रीन” की ओर

कोल इंडिया, जो दशकों से भारत की ऊर्जा आपूर्ति का आधार रहा है, अब खुद को एक “एनर्जी ट्रांजिशन लीडर” के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में सोलर पावर, बायो-एनर्जी, और कोयला खदानों के ग्रीन रिक्लेमेशन जैसे प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरू किया है। आईआईटी मद्रास के साथ यह साझेदारी इस दिशा में एक ट्रांसफॉर्मेटिव स्टेप है, जो “ब्लैक एनर्जी से ग्रीन एनर्जी” की ओर कोल इंडिया की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


साझेदारी के लाभ – अनुसंधान से उद्योग तक

इस केंद्र के माध्यम से विकसित तकनीकें न केवल कोल इंडिया के कार्यक्षेत्र में उपयोग होंगी, बल्कि अन्य सार्वजनिक और निजी उद्योगों को भी लाभ पहुंचाएंगी।

साझेदारी के मुख्य लाभ होंगे:

  1. स्वदेशी तकनीकी समाधान – भारत में विकसित ऊर्जा तकनीकें।
  2. डीकार्बोनाइजेशन के लिए अनुसंधान – उत्सर्जन घटाने वाली नई पद्धतियाँ।
  3. कोयला खदानों का पुनः उपयोग – परित्यक्त खदानों को ऊर्जा हब में बदलना।
  4. ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर जैसे भविष्य के प्रोजेक्ट्स पर फोकस।
  5. युवा शोधकर्ताओं के लिए अवसर – नई ऊर्जा टेक्नोलॉजी में करियर निर्माण।

भारत के सतत विकास लक्ष्यों की ओर एकजुट प्रयास

यह पहल भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) — विशेष रूप से Affordable & Clean Energy (Goal 7), Industry, Innovation & Infrastructure (Goal 9) और Climate Action (Goal 13) — को प्राप्त करने में योगदान देगी।

कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास की यह साझेदारी भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता मिशन (Energy Aatmanirbhar Bharat) का भी अभिन्न हिस्सा है, जो स्वदेशी अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत को अग्रणी बनाएगा।


निष्कर्ष :

“सेंटर फॉर सस्टेनेबल एनर्जी” की स्थापना यह स्पष्ट करती है कि भारत अब कोयले को केवल ईंधन नहीं, बल्कि परिवर्तन के उत्प्रेरक (Catalyst for Change) के रूप में देख रहा है।

यह पहल देश के ऊर्जा तंत्र में एक नए युग की शुरुआत है — जहाँ कोल इंडिया और आईआईटी मद्रास मिलकर भारत को ग्रीन, क्लीन और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं।


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