भारत का एनर्जी विज़न 2030: स्वच्छ ईंधन और हरित तकनीक से आत्मनिर्भर भारत
भारत का एनर्जी विज़न 2030: स्वच्छ ईंधन और हरित तकनीक से बनेगा आत्मनिर्भर व भविष्य-तैयार भारत
भारत आने वाले वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश “एनर्जी विज़न 2030” के तहत स्वच्छ ईंधन, नवीन तकनीकों और सभी के लिए सुलभ ऊर्जा की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह विज़न न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा, बल्कि देश को दुनिया के अग्रणी स्वच्छ ऊर्जा उत्पादकों में शामिल करने का लक्ष्य रखता है।
भारत का ऊर्जा परिदृश्य अब पुराने ढर्रे से हटकर एक आधुनिक, पर्यावरण-मित्र और तकनीकी रूप से उन्नत दिशा में परिवर्तित हो रहा है। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है — “स्वच्छ ऊर्जा, हर घर तक पहुंच, और सतत विकास”। इस दिशा में उठाए जा रहे कदम भारत को एक “भविष्य-तैयार भारत” की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं।
सबसे पहले, गैस ग्रिड विस्तार की बात करें तो देश में प्राकृतिक गैस को मुख्य ऊर्जा स्रोतों में शामिल करने की दिशा में बड़ा निवेश किया जा रहा है। वर्तमान में भारत में 8 एलएनजी (LNG) टर्मिनल हैं जिनकी कुल क्षमता 52.7 एमएमटीपीए (MMTPA) है, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 66.7 एमएमटीपीए करने का लक्ष्य रखा गया है। पाइपलाइन नेटवर्क, जो वर्तमान में लगभग 25,429 किलोमीटर लंबा है, आने वाले वर्षों में 33,500 किलोमीटर से अधिक तक विस्तारित किया जाएगा। यह विस्तार न केवल औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा बल्कि घरेलू और परिवहन क्षेत्रों में गैस के उपयोग को भी बढ़ावा देगा।
स्मार्ट मोबिलिटी के क्षेत्र में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज देश में लगभग 8,340 सीएनजी स्टेशन संचालित हो रहे हैं, जबकि 2030 तक इनकी संख्या बढ़ाकर 18,000 तक पहुंचाने की योजना है। इससे स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता में कमी आएगी। इसके अलावा, हाइड्रोजन बसों और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) से चलने वाली उड़ानों के पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू हो चुके हैं। ये कदम भारत के “ग्रीन ट्रांसपोर्ट” मिशन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
बायोएनर्जी स्केल-अप के तहत भारत ने स्वदेशी और पर्यावरण-सुरक्षित ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया है। वर्तमान में देश में 126 सीबीजी (CBG) प्लांट कार्यरत हैं जो प्रतिदिन 860 टन उत्पादन कर रहे हैं। आने वाले वर्षों में 1,000 से अधिक नए संयंत्र लगाने की योजना है जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 6,000 टन प्रतिदिन से अधिक होगी। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि जैविक कचरे के पुनः उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
एक्सप्लोरेशन मोमेंटम यानी खोज और उत्पादन के क्षेत्र में भी भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। देश में अब तक 150 OALP ब्लॉक आवंटित किए जा चुके हैं जो लगभग 3.4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इसके अलावा, 25 नए ब्लॉक्स “OALP-X” के अंतर्गत जोड़े जा रहे हैं। इससे पहले जो क्षेत्र “नो-गो ज़ोन” के अंतर्गत आते थे, उनमें से 99 प्रतिशत क्षेत्र अब खोज के लिए खोले जा चुके हैं, जिससे लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर अतिरिक्त क्षेत्र ऊर्जा अन्वेषण के लिए उपलब्ध हुआ है। यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा को नई दिशा देगा और घरेलू उत्पादन में तेजी लाएगा।
रिफाइनिंग फॉर टुमारो के तहत भारत अपनी रिफाइनिंग क्षमता को भी आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बना रहा है। वर्तमान में देश की कुल रिफाइनिंग क्षमता 258 एमएमटीपीए है जिसे 2030 तक 310 एमएमटीपीए तक बढ़ाया जाएगा। नई रिफाइनरियों में हीट इंटीग्रेशन, फ्लेयर गैस रिकवरी और ऊर्जा दक्षता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि उत्सर्जन को कम किया जा सके और उत्पादन अधिक स्वच्छ एवं टिकाऊ बने।
भारत की ऊर्जा रणनीति के इन पांच स्तंभों — गैस ग्रिड विस्तार, स्मार्ट मोबिलिटी, बायोएनर्जी, खोज और उत्पादन, तथा आधुनिक रिफाइनिंग — से मिलकर एक नई ऊर्जा समीकरण बन रही है। यह समीकरण है: “सभी के लिए ऊर्जा तक पहुंच + बड़े स्तर पर नवाचार + मजबूत आपूर्ति शृंखला + स्वच्छ ईंधन में नेतृत्व”।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश का विकास अब केवल पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि हरित तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा और स्थायी समाधानों पर आधारित होगा। “एनर्जी विज़न 2030” भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के केंद्र में भी स्थापित करेगा।
सरकार का लक्ष्य है कि हर नागरिक को सस्ती, स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा उपलब्ध हो। इसके साथ ही, रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे सामाजिक लाभ भी सुनिश्चित किए जाएंगे। भारत का यह ऊर्जा विज़न न केवल एक नीतिगत दस्तावेज़ है, बल्कि ‘नया भारत, स्वच्छ भारत और ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है।
2030 तक भारत एक ऐसा राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है जो स्वच्छ ईंधन में अग्रणी, हरित प्रौद्योगिकी में सक्षम और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा। एनर्जी विज़न 2030 वास्तव में भारत के उज्ज्वल, टिकाऊ और भविष्य-तैयार कल की आधारशिला है।

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