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कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल बीमा दावों पर की सख्त कार्रवाई | किसानों को मिलेगा पूरा हक

 केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल बीमा दावों पर किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लिया, दिल्ली में की उच्च स्तरीय बैठक – बीमा कंपनियों और अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश



केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें किसानों द्वारा फसल बीमा दावों को लेकर की जा रही शिकायतों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य था – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से संबंधित अनियमितताओं और अत्यंत कम राशि वाले दावों की वास्तविकता का पता लगाना तथा किसानों को न्याय दिलाना।

बैठक के दौरान श्री चौहान ने महाराष्ट्र के किसानों से वर्चुअल माध्यम से संवाद किया और उनकी शिकायतें प्रत्यक्ष रूप से सुनीं। किसानों ने बताया कि उन्हें फसल बीमा दावे के रूप में ₹1, ₹3, ₹5 या ₹21 जैसी अत्यंत मामूली रकम मिली है, जिससे किसान समुदाय में असंतोष फैला हुआ है। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए श्री चौहान ने कहा,

“₹1, ₹3, ₹5 जैसे दावे किसानों के साथ मज़ाक हैं। सरकार इसे सहन नहीं करेगी। इस पूरे मामले की पूर्ण जांच कराई जाएगी।”

उन्होंने बीमा कंपनियों और संबंधित अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों को किसी भी परिस्थिति में परेशान न किया जाए और सभी दावों का शीघ्र और एकमुश्त भुगतान सुनिश्चित किया जाए।


🔹 फसल बीमा के नाम पर मज़ाक नहीं चलेगा – चौहान

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में एक अत्यंत लाभकारी योजना है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल क्षति की भरपाई करना है। लेकिन कुछ जगहों पर सामने आए ऐसे मामलों से इस योजना की छवि धूमिल हो रही है। उन्होंने कहा,

“फसल बीमा योजना किसानों की सुरक्षा कवच है, न कि किसी के लिए मज़ाक का विषय। जो लोग इसे बदनाम कर रहे हैं या लापरवाही बरत रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”


🔹 सेhore और महाराष्ट्र के किसानों की शिकायतों पर विशेष ध्यान

श्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश के सीहोर जिले और महाराष्ट्र के अकोला जिले से किसानों की कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। कुछ किसानों का नुकसान “शून्य प्रतिशत” दर्शाया गया, जबकि उन्हें ₹1 का दावा मिला। एक अन्य किसान का नुकसान 0.004806 प्रतिशत दिखाया गया, और दावा राशि भी ₹1 रही।
उन्होंने सवाल उठाया –

“जब किसान की फसल नष्ट हुई है, तो सर्वेक्षण में ‘शून्य नुकसान’ कैसे दर्शाया गया? क्या यह किसानों के साथ अन्याय नहीं है?”

इस पर उन्होंने सीहोर जिले के कलेक्टर को बैठक में वर्चुअल रूप से जोड़ा और सभी संबंधित अधिकारियों व बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों से जवाब मांगा।


🔹 बीमा कंपनियों और अधिकारियों को सख्त निर्देश

कृषि मंत्री ने कहा कि बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि क्षेत्रीय सर्वेक्षण के समय मौजूद रहें, ताकि क्षति का सही आकलन हो सके और किसानों को उनका पूर्ण हक़ मिल सके। उन्होंने कहा कि रिमोट सेंसिंग आधारित आंकलन प्रणाली की वैज्ञानिक समीक्षा की जाएगी ताकि त्रुटियों को दूर किया जा सके।

उन्होंने बीमा योजना के तहत उन प्रावधानों की भी समीक्षा करने को कहा, जिनकी वजह से बहुत छोटी रकम के दावे स्वीकृत हो जाते हैं। इसके लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन करने का सुझाव दिया गया


🔹 राज्यों द्वारा देरी पर भी जताई नाराजगी

बैठक में कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारें केंद्र और राज्य हिस्से के सब्सिडी भुगतान में अनुचित देरी कर रही हैं, जिससे किसानों को दावों के भुगतान में अड़चन आती है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी राज्यों से समन्वय स्थापित कर जल्द भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

“केंद्र सरकार की छवि पर राज्य सरकारों की देरी का दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। जो राज्य अपनी हिस्सेदारी समय पर नहीं देंगे, उनसे 12 प्रतिशत ब्याज वसूला जाएगा,” उन्होंने कहा।


🔹 किसानों से सीधा संवाद – पारदर्शिता पर जोर

बैठक में शामिल किसानों ने बीमा दावा प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों, सर्वेक्षण की पारदर्शिता, और भुगतान में देरी से संबंधित अपने अनुभव साझा किए। श्री चौहान ने कहा कि अब किसानों को तकनीक से जोड़ा जाएगा, ताकि वे स्वयं अपने दावे की स्थिति और मूल्यांकन की जानकारी रियल टाइम में देख सकें।

“हम चाहते हैं कि हर किसान भाई-बहन को पूरी पारदर्शिता मिले। योजना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी,” श्री चौहान ने कहा।


🔹 उच्च स्तरीय जांच और सुधार की दिशा में कदम

कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को आदेश दिया कि ऐसे सभी मामलों में जहां दावा राशि ₹1, ₹2 या ₹5 जैसी है, वहां मैदान स्तर पर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
उन्होंने स्थानीय कलेक्टरों, बीमा अधिकारियों और किसानों से सीधे संपर्क कर वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन करने को कहा।

बैठक में महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी वर्चुअल रूप से शामिल हुए। बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।


🔹 निष्कर्ष – किसानों के हित में कड़ा रुख

बैठक के अंत में श्री शिवराज सिंह चौहान ने दोहराया कि केंद्र सरकार का उद्देश्य किसानों को समय पर, सही और पारदर्शी बीमा लाभ दिलाना है। उन्होंने कहा,

“फसल बीमा योजना किसानों की ढाल है। इसे मज़ाक बनाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। हमारा लक्ष्य है – हर किसान को उसका अधिकार, बिना किसी देरी के मिले।”


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