भारत की ऊर्जा नीति कैसे बदल रही है भविष्य? जानिए पीएम मोदी की नई रणनीति
भारत की ऊर्जा यात्रा – आत्मनिर्भरता और स्वच्छ विकास की ओर मजबूत कदम
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आज ऊर्जा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर चुका है। देश की ऊर्जा नीति अब केवल उत्पादन या उपभोग तक सीमित नहीं, बल्कि यह "समग्र विकास" का प्रतीक बन गई है। भारत की ऊर्जा यात्रा चार मज़बूत स्तंभों – विविधीकरण, नवाचार, घरेलू अन्वेषण, और स्वच्छ संक्रमण (Clean Transition) – पर आधारित है। ये चारों स्तंभ न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहे हैं, बल्कि आम नागरिकों तक सस्ती, स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा पहुँचाने का कार्य भी कर रहे हैं।
विविधीकरण: वैश्विक साझेदारी से ऊर्जा सुरक्षा
भारत की यह नीति “एक देश पर निर्भर नहीं, बल्कि अनेक देशों के साथ साझेदारी” के सिद्धांत पर आधारित है। इसी कारण भारत आज विश्व ऊर्जा बाजार में एक स्थिर और विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभर रहा है। यह विविधीकरण ऊर्जा कूटनीति (Energy Diplomacy) के माध्यम से भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत बना रहा है।
नवाचार: अपशिष्ट से संपदा की दिशा में भारत का कदम
भारत ने ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार (Innovation) को नीतिगत प्राथमिकता दी है। आज देश में 114 से अधिक संपीड़ित बायोगैस (Compressed Biogas - CBG) संयंत्र चालू हैं और 1,100 से अधिक परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं। इससे “कचरे से संपदा” (Waste to Wealth) का सपना साकार हो रहा है।
इसके अतिरिक्त, ‘सूर्य नूतन’ सौर कुकिंग सिस्टम जैसे अभिनव प्रयासों ने स्वच्छ ऊर्जा को घर-घर पहुँचाने की दिशा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। यह तकनीक न केवल रसोई गैस पर निर्भरता घटा रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान दे रही है।
वहीं, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel) के क्षेत्र में भारत तेजी से अग्रसर है। इससे न केवल कार्बन उत्सर्जन घटेगा बल्कि देश की विमानन उद्योग को स्वदेशी और हरित ईंधन की दिशा में नई पहचान मिलेगी।
घरेलू अन्वेषण: ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत की ओर
भारत सरकार का उद्देश्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है, जिसके लिए घरेलू खोज और अन्वेषण (Domestic Exploration) को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज लगभग 99% ऑफशोर क्षेत्र खोज और अन्वेषण के लिए खोल दिए गए हैं।
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के अंतर्गत अब तक 150 ब्लॉक्स आवंटित किए जा चुके हैं, जिनमें 4.36 अरब अमेरिकी डॉलर (USD) का निवेश आकर्षित हुआ है। यह निवेश नई ऊर्जा खोजों, रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास के लिए नए अवसर लेकर आया है।
इसके साथ ही, भारत की प्राकृतिक गैस ग्रिड भी तेजी से विस्तारित हो रही है। वर्ष 2014 में जहाँ गैस पाइपलाइन की लंबाई 15,340 किलोमीटर थी, वहीं आज यह बढ़कर 25,429 किलोमीटर हो गई है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक यह नेटवर्क 33,475 किलोमीटर तक पहुँचे। इस विशाल विस्तार से ऊर्जा की पहुँच देश के हर कोने तक संभव होगी।
स्वच्छ संक्रमण: हरित ऊर्जा की ओर परिवर्तन
भारत ने “स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण” (Clean Energy Transition) को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में अपनाया है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) इस दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। इसके माध्यम से देश वर्ष 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये के ईंधन आयात की बचत करेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ मिलकर 900 किलो टन प्रति वर्ष (KTPA) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता स्थापित कर रही हैं। यह कदम भारत को वैश्विक हरित ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से अब तक 10.60 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वच्छ रसोई ईंधन उपलब्ध कराया जा चुका है। यह न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान से जुड़ा कदम है, बल्कि ग्रामीण भारत के स्वच्छ विकास की कहानी भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की दृष्टि – “ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत”
भारत की ऊर्जा नीति अब सुरक्षित, सुलभ और सतत (Secure, Affordable & Sustainable) ऊर्जा आपूर्ति पर केंद्रित है। चाहे अंतरराष्ट्रीय सहयोग हो, घरेलू निवेश हो, या तकनीकी नवाचार — हर दिशा में भारत अपनी मजबूत पहचान बना रहा है।
निष्कर्ष: स्वच्छ, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा गाथा
"चार स्तंभों पर टिका भारत का ऊर्जा भविष्य — सशक्त, स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत की नींव"

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